कैलाश
कागा सब तन खाइयो, मेरा चुन चुन खैओ मास
दो नैना मत खाइओ, मोहे पिया मिलन की आस
गायक:कैलाश खेर
जीवन के ऐसे क्षण जो स्व (ख़ुद) से निकलकर विस्तार में जाने को विवश कर देते हैं उन्हीं क्षणों की अभिव्यक्ति का आयोजन
रविवार, 7 दिसंबर 2008
शनिवार, 6 दिसंबर 2008
प्यार का दिया जलता रहे……(नुसरत फ़तेह अली खां की आवाज़)
नुसरत
प्यार का दिया जलता रहे
मेरे साथ तू, चलता रहे
वादा तू जो करले प्यार का, इक़रार मैं करूं
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
प्यार का दिया जलता रहे
मेरे साथ तू, चलता रहे
वादा तू जो करले प्यार का, इक़रार मैं करूं
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
समझ सके ना लोग सयाने……(नुसरत फ़तेह अली खां की आवाज़)
मंगलवार, 25 नवंबर 2008
होय मेरा दिल दे गया… (नुसरत फ़तेह अली खां की आवाज़)
नुसरत
होय मेरा दिल ले गया कोई छैल छबीला बांका सा
लड़ गये नैन लुट गया चैन जुलमी ने ऐसे लूटा……
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
होय मेरा दिल ले गया कोई छैल छबीला बांका सा
लड़ गये नैन लुट गया चैन जुलमी ने ऐसे लूटा……
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
शुक्रवार, 21 नवंबर 2008
बड़े भाई साहब्…(कथा सम्राट प्रेमचन्द की मशहूर कहानी)
प्रेमचन्द
हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण अपने समय की शिक्षा व्यवस्था को उघाड़ती हुई कहानी "बड़े भाई साहब" का प्रेम चन्द की महत्वपूर्ण कहानियों मे नाम लिया जाता है।
लेखक: प्रेमचन्द
स्वर: मेराज अहमद
हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण अपने समय की शिक्षा व्यवस्था को उघाड़ती हुई कहानी "बड़े भाई साहब" का प्रेम चन्द की महत्वपूर्ण कहानियों मे नाम लिया जाता है।
लेखक: प्रेमचन्द
स्वर: मेराज अहमद
गीत ने नेह सजाया रूप मेरा…( कुमार आदित्य की अवाज़)
कुमार
गीत ने नेह सजाया रूप मेरा मैं तुम्हें अनुराग से उर में सजाऊं
रंग कोमल भावना का भरा है लहरती देखकर धाती धरा……
गीतकार : महेन्द्रभटनागर
गायक : कुमार आदित्य विक्रम
गीत ने नेह सजाया रूप मेरा मैं तुम्हें अनुराग से उर में सजाऊं
रंग कोमल भावना का भरा है लहरती देखकर धाती धरा……
गीतकार : महेन्द्रभटनागर
गायक : कुमार आदित्य विक्रम
मंगलवार, 18 नवंबर 2008
आज तुम्हारी आयी याद मन में गूंजा अनहद नाद… ( कुमार आदित्य की अवाज़)
कुमार
आज तुम्हारी आयी याद,
मन में गूँजा अनहद नाद !
बरसों बाद
बरसों बाद !
*
साथ तुम्हारा केवल सच था,
हाथ तुम्हारा सहज कवच था,
सब-कुछ पीछे छूट गया,
पर जीवित पल-पल का उन्माद !
आज तुम्हारी आयी याद !
*
बीत गये युग होते-होते,
रातों-रातों सपने बोते,
लेकिन उन मधु चल-चित्रों से
जीवन रहा सदा आबाद !
आज तुम्हारी आयी याद !
**************************
गीतकार : महेन्द्रभटनागर
गायक : कुमार आदित्य विक्रम
(कुमर आदित्य ग्वालियर एम0 पी0 के उभरते कलाकार हैं। वर्तमान में मुम्बई में रहकर फ़िल्म सगीत की यात्रा के लिये तैयारी कर रहें हैं)
आज तुम्हारी आयी याद,
मन में गूँजा अनहद नाद !
बरसों बाद
बरसों बाद !
*
साथ तुम्हारा केवल सच था,
हाथ तुम्हारा सहज कवच था,
सब-कुछ पीछे छूट गया,
पर जीवित पल-पल का उन्माद !
आज तुम्हारी आयी याद !
*
बीत गये युग होते-होते,
रातों-रातों सपने बोते,
लेकिन उन मधु चल-चित्रों से
जीवन रहा सदा आबाद !
आज तुम्हारी आयी याद !
**************************
गीतकार : महेन्द्रभटनागर
गायक : कुमार आदित्य विक्रम
(कुमर आदित्य ग्वालियर एम0 पी0 के उभरते कलाकार हैं। वर्तमान में मुम्बई में रहकर फ़िल्म सगीत की यात्रा के लिये तैयारी कर रहें हैं)
शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008
कैसे मैं कहूं कि मुझे ईश्क हुआ…(कैलाश खेर की आवाज़)
कैलाश
यहां वहां जहां तहां उड़ती फिरूं, कैसे मैं कहूं कि मुझे ईश्क हुआ है…………………………
धड़के यह ज़ोर ज़ोर भड़के यह चारो ओर वह क्या जाने चित चोर वह हैंचंदा मैं चकोर
गायक:कैलाश खेर
यहां वहां जहां तहां उड़ती फिरूं, कैसे मैं कहूं कि मुझे ईश्क हुआ है…………………………
धड़के यह ज़ोर ज़ोर भड़के यह चारो ओर वह क्या जाने चित चोर वह हैंचंदा मैं चकोर
गायक:कैलाश खेर
शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2008
तेरी दीवानी…(कैलाश खेर की आवाज़)
कैलाश
प्रीत की लत मोंहे ऐसी लागी हो गयी मैं मतवारी
बल बल जाऊं अपने पिया को हे मैं जाऊं वारी
गायक:कैलाश खेर
प्रीत की लत मोंहे ऐसी लागी हो गयी मैं मतवारी
बल बल जाऊं अपने पिया को हे मैं जाऊं वारी
गायक:कैलाश खेर
बुधवार, 15 अक्तूबर 2008
जोगण बण बण कर घूमूं बैरागण बण बण घूमूं…(कैलाश खेर की अवाज़)
कैलाश
जोगण बण बण कर घूमूं बैरागण बण बण घूमूं
हां मैं तेरी चौखट चूमूं मैं तेरी और तू मेरा…अलबेला साजन मेरा
गायक:कैलाश खेर
जोगण बण बण कर घूमूं बैरागण बण बण घूमूं
हां मैं तेरी चौखट चूमूं मैं तेरी और तू मेरा…अलबेला साजन मेरा
गायक:कैलाश खेर
शनिवार, 11 अक्तूबर 2008
चिटठी न कोई संदेश…(जगजीत सिंह की आवाज़)
शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2008
यह शाम फिर नहीं आयेगी…(नुसरत फ़तेह अली खान की आवाज़)
गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008
समझ सके न लोग सयाने…(नुसरत फ़तेह अली खान की आवाज़)
नुसरत
समझ सके न लोग सयाने इश्क़ का रुतबा इश्क़ ही जाने
इस दुनियां का खेल रचाया श्क़ की खातिर आप खुदा ने
गायक:नुसरत फ़तेह अली खान
समझ सके न लोग सयाने इश्क़ का रुतबा इश्क़ ही जाने
इस दुनियां का खेल रचाया श्क़ की खातिर आप खुदा ने
गायक:नुसरत फ़तेह अली खान
रविवार, 28 सितंबर 2008
रमज़ान के मुबारक महीने व ईद के आगमन पर यह नात पेश है (ओवैस रज़ा क़ादरी की आवाज़ में)
आप सभी को मैं यह बताना चाहूंगा कि उर्दू भाषा में नात उस कलाम को कहते हैं जो पैग़म्बर मुहम्मद (स0) की तारीफ़ में लिखा गया हो। ईद के आगमन पर ओवैस रज़ा क़ादरी की आवाज़ में यह नात पोस्ट कर रहा हुं साथ ही आप सभी लोगों को ईद की मुबारकबाद्।
नात
आवाज़: ओवैस रज़ा क़ादरी
नात
आवाज़: ओवैस रज़ा क़ादरी
शुक्रवार, 26 सितंबर 2008
रात ऐसी बितायी है तुम्हें याद किया है…(पंकज उदाज की आवाज़)
गुरुवार, 25 सितंबर 2008
तू कहीं भी रहे सर पर तेरे इलज़ाम तो है…(ग़ुलाम अली की आवाज़)
बुधवार, 24 सितंबर 2008
मंगलवार, 23 सितंबर 2008
तुझसे मिलने की सज़ा देंगे…(जगजीत सिंह की अवाज़)
जगजीत
तुझसे मिलने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग
ये वफ़ावों का सिला है,देंगे तेरे शहर के लोग…॥
गायक:जगजीत सिंह
तुझसे मिलने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग
ये वफ़ावों का सिला है,देंगे तेरे शहर के लोग…॥
गायक:जगजीत सिंह
रविवार, 21 सितंबर 2008
होटों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो……(जगजीत सिंह की अवाज़ में …प्रेमगीत का अमर गीत)
शुक्रवार, 19 सितंबर 2008
सारी रात तेरी याद सतावे…(नुसरत फ़तेह अली खान की अवाज़ में)
नुसरत
सारी-सारी रात तेरी याद सतावे केंदु मेरे नैन कोई प्यार न पावे
दिल देके पछतानियां मैं बेदर्दी नींद न आवे…………………
गायक:नुसरत फ़तेह अली खान
सारी-सारी रात तेरी याद सतावे केंदु मेरे नैन कोई प्यार न पावे
दिल देके पछतानियां मैं बेदर्दी नींद न आवे…………………
गायक:नुसरत फ़तेह अली खान
गुरुवार, 4 सितंबर 2008
दोस्त बन बन के मिले मुझको मिटाने वाले (जगजीत सिंह की अवाज़)
बुधवार, 3 सितंबर 2008
आज कोई बात हो गयी…(नुसरत फ़तेह अली खां की अवाज़)
सोमवार, 1 सितंबर 2008
निकलो न बेनक़ाब ज़माना खराब है…(पंकज उदास की आवाज़)
पंकज
बेपर्दा नज़र आयी कल जो चन्द बीबियां
अकबर ज़मीं में गैरत-ए-क़ौमी से गड़ गया
पूछा जो मैने आप का पर्दा वो क्या हुआ
कहने लगीं के अक़्ल पे मर्दों की पड़ गया…
निकलो न बेनक़ाब ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
सब कुछ हमें खबर है नसीहत न कीजिये
क्या होंगे हम खराब, ज़माना खराब है
मतलब छुपा हुआ है यहां हर सवाल में
तू सोचकर जवाब, ज़माना खराब है
राशिद तुम आ गये हो ना आखिर फ़रेब में
कहते न थे जनाब, ज़माना खराब है
कवि: मुमताज़ राशिद
गायक: पंकज उदास
बेपर्दा नज़र आयी कल जो चन्द बीबियां
अकबर ज़मीं में गैरत-ए-क़ौमी से गड़ गया
पूछा जो मैने आप का पर्दा वो क्या हुआ
कहने लगीं के अक़्ल पे मर्दों की पड़ गया…
निकलो न बेनक़ाब ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
सब कुछ हमें खबर है नसीहत न कीजिये
क्या होंगे हम खराब, ज़माना खराब है
मतलब छुपा हुआ है यहां हर सवाल में
तू सोचकर जवाब, ज़माना खराब है
राशिद तुम आ गये हो ना आखिर फ़रेब में
कहते न थे जनाब, ज़माना खराब है
कवि: मुमताज़ राशिद
गायक: पंकज उदास
रविवार, 31 अगस्त 2008
शुक्रवार, 29 अगस्त 2008
दीपक राग चाहत अपनी…(शाहेदा परवेज़ की आवाज़ में)
शाहेदा
दीपक राग चाहत अपनी, काहे सुनायें तुम्हें
हम तो सुलगते ही रहते हैं, कियों सुलगायें तुम्हें
गायिक:शाहेदा परवेज़
दीपक राग चाहत अपनी, काहे सुनायें तुम्हें
हम तो सुलगते ही रहते हैं, कियों सुलगायें तुम्हें
गायिक:शाहेदा परवेज़
बुधवार, 27 अगस्त 2008
वह बातें तेरी वह फ़साने तेरे…(मलिका पुखराज की आवाज़)
सोमवार, 25 अगस्त 2008
ऐ मेरे हमनशीं चल कहीं और चल…(मुन्नी बेग़म की आवाज़)
मुन्नी
ऐ मेरे हमनशीं चल कहीं और चल, इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम, अब तो कांटों पे भी हक़ हमारा नहीं
गायिका: मुन्नी बेग़म
ऐ मेरे हमनशीं चल कहीं और चल, इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम, अब तो कांटों पे भी हक़ हमारा नहीं
गायिका: मुन्नी बेग़म
कभी हम भी खूबसूरत थे…(नैयरा नूर की आवाज़)
नैयरा
कभी हम भी खूबसूरत थे किताबों में बसी खुशबू की मानिंद
सांस साकिन साकिन थी बहुत अनकहे लफ़्ज़ों से तस्वीरें बनाते थे
गायिका: नैयरा नूर
कभी हम भी खूबसूरत थे किताबों में बसी खुशबू की मानिंद
सांस साकिन साकिन थी बहुत अनकहे लफ़्ज़ों से तस्वीरें बनाते थे
गायिका: नैयरा नूर
रविवार, 24 अगस्त 2008
कहानी-वापसी……(डा0 मेराज अहमद की आवाज़ में)
वापसी
लेखक: डा0 मेराज अहमद
स्वर: डा0 मेराज अहमद
आशा और विश्वाश की कहानी, "वापसी" एक ऐसे आदमी की ज़िन्दगी की दासतान है जो चालीस साल बाद अपनी ज़मीन पर लौटकर आता है। उसके ज़िन्दगी के प्रति सकारात्मक रवैये के कारण उसकी जड़ें ज़मीन पकड़ लेती हैं। वह अपनी बाक़ी ज़िन्दगी को क्या खूब जीता है और भरपूर जीता है।
लेखक: डा0 मेराज अहमद
स्वर: डा0 मेराज अहमद
शनिवार, 23 अगस्त 2008
शुक्रवार, 22 अगस्त 2008
हंगामा है क्यूं बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है…(ग़ुलाम अली की आवाज़)
ग़ुलाम अली
हंगामा है क्यूं बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नही डाला, चोरी तो नहीं की है……
हंगामा है…………………………
गायक: ग़ुलाम अली
हंगामा है क्यूं बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नही डाला, चोरी तो नहीं की है……
हंगामा है…………………………
गायक: ग़ुलाम अली
मैने पैरों में पायल तो बांधी नही…(फ़रीदा खानम की आवाज़)
बुधवार, 20 अगस्त 2008
दिल के अफ़साने निगाहों की ज़ुबां तक पहुंचे…(नूर जहां की आवाज़)
नूर
दिल के अफ़साने निगाहों की ज़ुबां तक पहुंचे
बात चलने की भी है, अब देखें कहां तक पहुंचे
गायिका: नूर जहां
दिल के अफ़साने निगाहों की ज़ुबां तक पहुंचे
बात चलने की भी है, अब देखें कहां तक पहुंचे
गायिका: नूर जहां
मस्त नज़रों से अल्ला बचाए…(नुसरत फ़तेह अली खां की आवाज़)
नुसरत
मैने मासूम बहारों में तुझे देखा है
मैने पुर-नूर सितारों में तुझे देखा है……
मस्त नज़रों से अल्ला बचाए……………
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
मैने मासूम बहारों में तुझे देखा है
मैने पुर-नूर सितारों में तुझे देखा है……
मस्त नज़रों से अल्ला बचाए……………
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
चले तो कट ही जायेगा सफ़र…(मुसर्रत नज़ीर की आवाज़)
मुसर्रत
चले तो कट ही जायेगा सफ़र, आहिस्ता आहिस्ता
हम उसके पास जाते हैं मगर, आहिस्ता आहिस्ता
गायिका: मुसर्रत नज़ीर
चले तो कट ही जायेगा सफ़र, आहिस्ता आहिस्ता
हम उसके पास जाते हैं मगर, आहिस्ता आहिस्ता
गायिका: मुसर्रत नज़ीर
मंगलवार, 19 अगस्त 2008
थक गया हूं अब तो उम्मीद्…(हारिस मुजीब)
हारिस
गीत "उम्मीद" अलीगढ़ के कुछ जोशीले नौजवानों की शौकिया कोशिश है, इसे आवाज़ दी है "हारिस मुजीब" ने, और बोल "काशिफ़" और "शफ़ीक़" के हैं। यह सभी नौजवान अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्दयालय अलीगढ़ सम्बद्ध ज़ाकिर हुसेन कालेज आफ़ इन्जीनियरिंग एन्ड टेक्नालोजी के इलेक्ट्रिकल इन्जीनियरिंग विभाग के छात्र हैं। हौसला अफ़्ज़ायी के लिये प्रतिक्रियाओं का स्वागत है। (मेराज अहमद)
दोस्ती जब किसी से की जाये…(जगजीत सिंह)
जगजीत
दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राये ली जाये
इस गज़ल के बोल के लिये यहां क्लिक करें।
गायक: जगजीत सिंह
शायर: राहत इंदौरी
दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राये ली जाये
इस गज़ल के बोल के लिये यहां क्लिक करें।
गायक: जगजीत सिंह
शायर: राहत इंदौरी
गुरुवार, 14 अगस्त 2008
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी…(जगजीत सिंह की आवाज़ में)
पल दो पल हैं प्यार के……(नुसरत फ़तेह अली खां की आवाज़ में)
नुसरत
जैसे जीवन प्यार सजावे, जैसे फूल से खुशबू आवे
होती है प्रीत दिल हार के, दुनियां है सूनी बिन यार के
पल दो पल हैं प्यार के………
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
बुधवार, 13 अगस्त 2008
सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हमारा,…(लता जी की आवाज़ में सुनें)
लता
सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हमारा,…
हम बुलबुलें हैं उसकी, ये गुलसितां हमारा……
गायक: लता मंगेश्कर
शायर: सर अल्लामा इक़बाल
सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हमारा,…
हम बुलबुलें हैं उसकी, ये गुलसितां हमारा……
गायक: लता मंगेश्कर
शायर: सर अल्लामा इक़बाल
चिटठी आयी है, आयी है, वतन से चिटठी आयी है…(पंकज उदास की आवाज़ में)
आज़दी के शुभ अवसर पर पेश है यह गीत…
चिटठी आयी है, आयी है, वतन से चिटठी आयी है
बड़े दिनों के बाद, हम बे वतनों की याद, वतन से मिटटी आयी है……
पंकज
गायक: पंकज उदास
चिटठी आयी है, आयी है, वतन से चिटठी आयी है
बड़े दिनों के बाद, हम बे वतनों की याद, वतन से मिटटी आयी है……
पंकज
गायक: पंकज उदास
गुरुवार, 7 अगस्त 2008
सावन की भीगी रातों में…
नुसरत
सावन की भीगी रातों में जब फूल खिले बरसातों में
जब छेड़ें सखियां बातों में, तेरी यादां…………
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
सावन की भीगी रातों में जब फूल खिले बरसातों में
जब छेड़ें सखियां बातों में, तेरी यादां…………
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
जाने जां तू है कहां
नुसरत
जाने जां तू है कहां, सांसों में तू, आंखों में तू, गीतों में तू, धड़कन में तू।
तू सपना है या कोई साया, तुझे मैनें दिल में बसाया॥ तेरी याद, तेरी याद…………।
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
जाने जां तू है कहां, सांसों में तू, आंखों में तू, गीतों में तू, धड़कन में तू।
तू सपना है या कोई साया, तुझे मैनें दिल में बसाया॥ तेरी याद, तेरी याद…………।
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
बुधवार, 6 अगस्त 2008
अपने हाथों कि लकीरों में बसा ल्रे मुझको…
जगजीत
अपने हाथों कि लकीरों में बसा ल्रे मुझको।
मैं हूं तेरा तू नसीब अपना बना ले मुझको॥
गायक: जगजीत सिंह
अपने हाथों कि लकीरों में बसा ल्रे मुझको।
मैं हूं तेरा तू नसीब अपना बना ले मुझको॥
गायक: जगजीत सिंह
कभी मैखाने तक जाते हैं हम और कम भी पीते हैं
पंकज
कभी मैखाने तक जाते हैं हम, और कम भी पीते हैं।
घटा ज़ुल्फ़ों की छा ज़ाए तो, बे मौसम भी पीते हैं।॥
गायक: पंकज उदास
कभी मैखाने तक जाते हैं हम, और कम भी पीते हैं।
घटा ज़ुल्फ़ों की छा ज़ाए तो, बे मौसम भी पीते हैं।॥
गायक: पंकज उदास
हमें तो अब भी वो गुज़रा ज़माना याद आता है…
ग़ुलाम
हमें तो अब भी वो गुज़रा ज़माना याद आता है।
तुम्हें भी क्या कभी कोई दिवाना याद आता है॥
गायक: गुलाम अली
हमें तो अब भी वो गुज़रा ज़माना याद आता है।
तुम्हें भी क्या कभी कोई दिवाना याद आता है॥
गायक: गुलाम अली
मंगलवार, 5 अगस्त 2008
चलो पी लें कि यार आये न आये…(पंकज उदास)
पंकज
खोते न हम जो होश उन्हें घर बुला के पी,
या फिर बुतों को सामने अपने बिठा के पी…
चलो पी लें कि यार आये न आये
गायक: पंकज उदास
खोते न हम जो होश उन्हें घर बुला के पी,
या फिर बुतों को सामने अपने बिठा के पी…
चलो पी लें कि यार आये न आये
गायक: पंकज उदास
आहिस्ता कीजिये बातें, धड़कनें कोई सुन रहा होगा
पंकज
आहिस्ता कीजिये बातें, धड़कनें कोई सुन रहा होगा
लफ़्ज़ गिरने न पाएं होठों से, वक़्त के हाथ इन को चुन लेंगे
गायक: पंकज उदास
आहिस्ता कीजिये बातें, धड़कनें कोई सुन रहा होगा
लफ़्ज़ गिरने न पाएं होठों से, वक़्त के हाथ इन को चुन लेंगे
गायक: पंकज उदास
सोमवार, 4 अगस्त 2008
पिया रे पिया रे… (नुसरत फ़तेह अली खां )
नुसरत
पिया रे पिया रे ,पिया रे पिया रे
हो हो तारे बिना लागे नाहीं म्हारा जिया रे
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
पिया रे पिया रे ,पिया रे पिया रे
हो हो तारे बिना लागे नाहीं म्हारा जिया रे
गायक: नुसरत फ़तेह अली खां
रविवार, 3 अगस्त 2008
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है, छुपाएं कैसे
शनिवार, 2 अगस्त 2008
अन्तराल-कहानी
अन्तराल
कहानी: अन्तराल
लेखक: मेराज अहमद
स्वर: मेराज अहमद
कहानी: अन्तराल
लेखक: मेराज अहमद
स्वर: मेराज अहमद
यह कहानी पीढ़ी अन्तराल से उपजी द्वन्द्व भरी मानसिकता का उद्घाटन करती है, लेकिन इसका खास पहलू यह है कि इसमें जीवन के सकारात्मक आयामों की अभिव्यक्ति को तरजीह दी गई है।
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा
जगजीत
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा
अभी जिगर में खलिश है आधी, अभी है मुझ पर……
गायक: जगजीत सिंह
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा
अभी जिगर में खलिश है आधी, अभी है मुझ पर……
गायक: जगजीत सिंह
आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक
जगजीत
आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक
आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होने तक
हम ने माना के तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जायेंगे हम तुमको ख़बर होने तक
ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शम्म'अ हर रंग में जलती है सहर होने तक
*****************************
कवि: मिर्ज़ा गालिब
गायक: जगजीत सिंह
आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक
आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होने तक
हम ने माना के तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जायेंगे हम तुमको ख़बर होने तक
ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शम्म'अ हर रंग में जलती है सहर होने तक
*****************************
कवि: मिर्ज़ा गालिब
गायक: जगजीत सिंह
मंगलवार, 29 जुलाई 2008
ऐ जानेमन ऐ जानेजां, हो कभी मेहरबां
सोमवार, 28 जुलाई 2008
रविवार, 27 जुलाई 2008
चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला
हम को किसके ग़म ने मारा, यह कहानी फ़िर सही
आवारगी: हम को किसके ग़म ने मारा, यह कहानी फ़िर सही
गायक: ग़ुलाम अली
गायक: ग़ुलाम अली
चुपके-चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
शुक्रवार, 25 जुलाई 2008
चांद सिफ़ारिश जो करता हमारी…
सुर पसंदीदा गीत:फ़िल्म-फ़ना
तमन्ना फ़िर मचल जाए अगर तुम मिलने आजाओ
ग़ज़ल:ग़ज़ल " तमन्ना फ़िर मचल जाए अगर तुम मिलने आजाओ"
जगजीत सिंह
जगजीत सिंह
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह
ग़ज़ल: ग़ज़ल "हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह"
ग़ुलाम अली
ग़ुलाम अली
गुरुवार, 24 जुलाई 2008
दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए
ग़ज़ल:ग़ज़ल "दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए"
फ़िल्म: उमराव जान
फ़िल्म: उमराव जान
ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें
ग़ज़ल: ग़ज़ल "ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें"
फ़िल्म: उमराव जान
फ़िल्म: उमराव जान
अमरूद और हरी पत्तियां
अमरूद और हरी पत्तियां
कहानी: अमरूद और हरी पत्तियां
लेखक: मेराज अहमद
स्वर: मेराज अहमद
प्रस्तुत कहानी सम्बंधों के बीच उन लम्हों के पहचान की है, को जो ज़िंदगी की सहजता कई धुरी होते हैं।
कहानी: अमरूद और हरी पत्तियां
लेखक: मेराज अहमद
स्वर: मेराज अहमद
प्रस्तुत कहानी सम्बंधों के बीच उन लम्हों के पहचान की है, को जो ज़िंदगी की सहजता कई धुरी होते हैं।
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