ग़ुलाम अली
अपनी धुन में रहता हूं, मैं बही तेरे जैसा हूं
गायक: ग़ुलाम अली
जीवन के ऐसे क्षण जो स्व (ख़ुद) से निकलकर विस्तार में जाने को विवश कर देते हैं उन्हीं क्षणों की अभिव्यक्ति का आयोजन
मंगलवार, 29 जुलाई 2008
सोमवार, 28 जुलाई 2008
रविवार, 27 जुलाई 2008
चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला
हम को किसके ग़म ने मारा, यह कहानी फ़िर सही
आवारगी: हम को किसके ग़म ने मारा, यह कहानी फ़िर सही
गायक: ग़ुलाम अली
गायक: ग़ुलाम अली
चुपके-चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
शुक्रवार, 25 जुलाई 2008
चांद सिफ़ारिश जो करता हमारी…
सुर पसंदीदा गीत:फ़िल्म-फ़ना
तमन्ना फ़िर मचल जाए अगर तुम मिलने आजाओ
ग़ज़ल:ग़ज़ल " तमन्ना फ़िर मचल जाए अगर तुम मिलने आजाओ"
जगजीत सिंह
जगजीत सिंह
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह
ग़ज़ल: ग़ज़ल "हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह"
ग़ुलाम अली
ग़ुलाम अली
गुरुवार, 24 जुलाई 2008
दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए
ग़ज़ल:ग़ज़ल "दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए"
फ़िल्म: उमराव जान
फ़िल्म: उमराव जान
ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें
ग़ज़ल: ग़ज़ल "ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें"
फ़िल्म: उमराव जान
फ़िल्म: उमराव जान
अमरूद और हरी पत्तियां
अमरूद और हरी पत्तियां
कहानी: अमरूद और हरी पत्तियां
लेखक: मेराज अहमद
स्वर: मेराज अहमद
प्रस्तुत कहानी सम्बंधों के बीच उन लम्हों के पहचान की है, को जो ज़िंदगी की सहजता कई धुरी होते हैं।
कहानी: अमरूद और हरी पत्तियां
लेखक: मेराज अहमद
स्वर: मेराज अहमद
प्रस्तुत कहानी सम्बंधों के बीच उन लम्हों के पहचान की है, को जो ज़िंदगी की सहजता कई धुरी होते हैं।
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