आप सभी को मैं यह बताना चाहूंगा कि उर्दू भाषा में नात उस कलाम को कहते हैं जो पैग़म्बर मुहम्मद (स0) की तारीफ़ में लिखा गया हो। ईद के आगमन पर ओवैस रज़ा क़ादरी की आवाज़ में यह नात पोस्ट कर रहा हुं साथ ही आप सभी लोगों को ईद की मुबारकबाद्।
नात
आवाज़: ओवैस रज़ा क़ादरी
जीवन के ऐसे क्षण जो स्व (ख़ुद) से निकलकर विस्तार में जाने को विवश कर देते हैं उन्हीं क्षणों की अभिव्यक्ति का आयोजन
रविवार, 28 सितंबर 2008
शुक्रवार, 26 सितंबर 2008
गुरुवार, 25 सितंबर 2008
बुधवार, 24 सितंबर 2008
मंगलवार, 23 सितंबर 2008
तुझसे मिलने की सज़ा देंगे…(जगजीत सिंह की अवाज़)
जगजीत
तुझसे मिलने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग
ये वफ़ावों का सिला है,देंगे तेरे शहर के लोग…॥
गायक:जगजीत सिंह
तुझसे मिलने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग
ये वफ़ावों का सिला है,देंगे तेरे शहर के लोग…॥
गायक:जगजीत सिंह
रविवार, 21 सितंबर 2008
होटों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो……(जगजीत सिंह की अवाज़ में …प्रेमगीत का अमर गीत)
शुक्रवार, 19 सितंबर 2008
सारी रात तेरी याद सतावे…(नुसरत फ़तेह अली खान की अवाज़ में)
नुसरत
सारी-सारी रात तेरी याद सतावे केंदु मेरे नैन कोई प्यार न पावे
दिल देके पछतानियां मैं बेदर्दी नींद न आवे…………………
गायक:नुसरत फ़तेह अली खान
सारी-सारी रात तेरी याद सतावे केंदु मेरे नैन कोई प्यार न पावे
दिल देके पछतानियां मैं बेदर्दी नींद न आवे…………………
गायक:नुसरत फ़तेह अली खान
गुरुवार, 4 सितंबर 2008
दोस्त बन बन के मिले मुझको मिटाने वाले (जगजीत सिंह की अवाज़)
बुधवार, 3 सितंबर 2008
सोमवार, 1 सितंबर 2008
निकलो न बेनक़ाब ज़माना खराब है…(पंकज उदास की आवाज़)
पंकज
बेपर्दा नज़र आयी कल जो चन्द बीबियां
अकबर ज़मीं में गैरत-ए-क़ौमी से गड़ गया
पूछा जो मैने आप का पर्दा वो क्या हुआ
कहने लगीं के अक़्ल पे मर्दों की पड़ गया…
निकलो न बेनक़ाब ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
सब कुछ हमें खबर है नसीहत न कीजिये
क्या होंगे हम खराब, ज़माना खराब है
मतलब छुपा हुआ है यहां हर सवाल में
तू सोचकर जवाब, ज़माना खराब है
राशिद तुम आ गये हो ना आखिर फ़रेब में
कहते न थे जनाब, ज़माना खराब है
कवि: मुमताज़ राशिद
गायक: पंकज उदास
बेपर्दा नज़र आयी कल जो चन्द बीबियां
अकबर ज़मीं में गैरत-ए-क़ौमी से गड़ गया
पूछा जो मैने आप का पर्दा वो क्या हुआ
कहने लगीं के अक़्ल पे मर्दों की पड़ गया…
निकलो न बेनक़ाब ज़माना खराब है
और उसपे ये शबाब, ज़मान खराब है
सब कुछ हमें खबर है नसीहत न कीजिये
क्या होंगे हम खराब, ज़माना खराब है
मतलब छुपा हुआ है यहां हर सवाल में
तू सोचकर जवाब, ज़माना खराब है
राशिद तुम आ गये हो ना आखिर फ़रेब में
कहते न थे जनाब, ज़माना खराब है
कवि: मुमताज़ राशिद
गायक: पंकज उदास
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