गायिका: मुन्नी बेगम
भूलने वाले से कोई कह दे ज़रा, इस तरह याद आने से क्या फायदा जब मेरे दिल की दुनिया बसाते नहीं, फिर ख्यालों में आने से क्या फायदा
चार तिनके जला के क्या मिल गया, मिट सका ना ज़माने से मेरा निशाँ
मुझ पे बिजली गिराओ तो जानें सही, आशियाँ पर गिराने से क्या फायदा
क्या कहूं आप से कितनी उम्मीद थी, आप क्या बदले दुनिया बदल सी गयी
आसरा देके दिल तोड़ते हैं मेरा, इस तरह सताने से क्या फायदा
तुमने मूसा को नाहक़ तकलीफ दी, लुत्फ़ आता अगर याद करते हमें
जिनके आँखों में ताब-ए-नज़ारा नहो, उनको जलवा दिखाने से क्या फायदा
पहले दिल को बुराई से कर पाक तू, फिर ख़ुलूस-ए-अक़ीदत से कर जुस्तजू
ऐसे सजदों से अल्लाह मिलता नहीं, हर जगह सर झुकाने क्या फायदा
लाख समझाया तुमको मगर ऐ शमी, तेरी होशयारी आखिर ना काम आ सकी
आँख मिलती गयी राज़ खुलते गए, अब हकीकत छुपाने से क्या फायदा
भूलने वाले से कोई कह दे ज़रा, इस तरह याद आने से क्या फायदा